बिहार की महिलाओं के लिए सितंबर का महीना बेहद खास साबित होने वाला है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत राज्य सरकार योग्य महिलाओं के खाते में इस महीने 10,000 रुपये की पहली किस्त भेजने जा रही है। यह रकम महिलाओं को अपना रोजगार शुरू करने में मदद के लिए दी जा रही है। स्कीम के तहत आगे चलकर 2 लाख रुपये तक का लोन भी मिल सकता है। लेकिन बड़ा सवाल है—क्या एक ही परिवार की कई महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं? खासकर अगर घर में सास और बहू दोनों इस योजना के लिए आवेदन करना चाहें तो क्या दोनों को फायदा मिलेगा?
योजना के फायदे और शर्तें
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के अंतर्गत सरकार ने 18 तरह के कामों के लिए आर्थिक मदद का प्रावधान किया है। पहली किस्त के तौर पर 10,000 रुपये सीधे बैंक खाते में दिए जाएंगे। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से 2 लाख रुपये तक का ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा।
- योजना का लाभ उठाने के लिए महिला का जीविका स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ा होना जरूरी है।
- महिला की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए।
- परिवार का कोई भी सदस्य इनकम टैक्स के दायरे में नहीं होना चाहिए।
जीविका समूह से जुड़े बिना यह राशि नहीं मिलेगी।
परिवार की परिभाषा
सरकार ने योजना में “परिवार” की परिभाषा स्पष्ट कर दी है ताकि किसी तरह का भ्रम न रहे। परिवार से आशय है—पति, पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे।
- अगर किसी महिला की शादी नहीं हुई है और माता-पिता जीवित नहीं हैं, तो उसे अलग परिवार माना जाएगा।
- शादीशुदा बेटे का परिवार माता-पिता से अलग माना जाएगा, चाहे वे एक ही छत के नीचे क्यों न रह रहे हों।
सास-बहू दोनों को मिलेगा फायदा
इस परिभाषा से साफ है कि अगर परिवार में सास और बहू दोनों ही अपना-अपना रोजगार शुरू करना चाहती हैं, तो दोनों को 10,000-10,000 रुपये की मदद मिलेगी। यानी बेटे-बहू और उनके बच्चे एक अलग परिवार माने जाएंगे, जबकि माता-पिता का परिवार अलग। इसके अलावा, अगर माता-पिता नहीं हैं और कोई अविवाहित महिला भाई-भाभी के साथ रहती है, तो वह भी इस योजना का लाभ उठा सकती है।