Surrogate Mother: किराये पर कौन दे सकता है “कोख”आज के आधुनिक युग में, सरोगेसी एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली विकल्प बन चुकी है, विशेषकर उन दंपत्तियों के लिए जो प्राकृतिक रूप से बच्चे की खुशी का अनुभव नहीं कर पाते। इसे आम भाषा में ‘किराये की कोख’ कहा जाता है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला (सरोगेट मदर) किसी अन्य दंपति के लिए गर्भधारण करती है।
यह प्रक्रिया कई कारणों से आवश्यक हो सकती है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, गर्भधारण की असमर्थता, या जोखिम भरी स्थितियां। आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी महिलाएं सरोगेसी के लिए उपयुक्त हो सकती हैं और इस प्रक्रिया की कानूनी एवं चिकित्सकीय आवश्यकताएँ क्या हैं।
Surrogate Mother: किराये पर कौन दे सकता है “कोख”
महिलाओं की शारीरिक संरचना और उनके प्राकृतिक गुण यह दर्शाते हैं कि उनका शरीर सृष्टि के सृजन के लिए बनाया गया है। बायोलॉजिकली, महिलाएं गर्भ धारण करने, उसे पालने और बच्चे को जन्म देने में सक्षम होती हैं।
इसके साथ ही ऑक्सीटोसिन, प्रोलैक्टिन, एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन मां के भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, मां बनने की प्रक्रिया में कई समस्याएं भी आती हैं। कभी-कभी यह समस्याएं इतनी गंभीर होती हैं कि महिला मां नहीं बन पाती। ऐसे मामलों का समाधान सरोगेसी के रूप में सामने आया है।
सरोगेसी, जिसे आम भाषा में ‘किराए की कोख’ भी कहा जाता है, उन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो मातृत्व के सुख से वंचित हैं। यह एक आधुनिक तकनीक है जिसके माध्यम से एक अन्य महिला अपने या किसी डोनर के अंडाणु से किसी अन्य दंपति के लिए गर्भ धारण करती है। जो महिला गर्भवती होती है, वह अपने गर्भ में बच्चे को पालती है और फिर बच्चे को दंपति को सौंप देती है।
सरोगेसी का उपयोग करने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन दो मुख्य कारण हैं: यदि कोई दंपति प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हो, या गर्भधारण के कारण मां की जान को खतरा हो, तो वे इस प्रक्रिया का सहारा लेते हैं।
इस विषय पर चर्चा का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि हाल ही में लखनऊ के एक डॉक्टर ने किराए की कोख के लिए आवेदन किया था। सीएमओ की कमेटी ने जांच कर इसे मंजूरी दे दी है, हालांकि अंतिम निर्णय डीएम द्वारा लिया जाना बाकी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सरोगेसी अधिनियम 2021 के लागू होने के बाद यह प्रदेश में पहला ऐसा मामला है।
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सरोगेसी अधिनियम 2021
सरोगेसी अधिनियम 2021 के तहत, 35 से 45 वर्ष की आयु की विधवा या तलाकशुदा महिलाएं, या कानूनी रूप से विवाहित दंपति सरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं। भारत में कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध है, अर्थात् सरोगेसी के लिए कोई वित्तीय लेन-देन करना गैरकानूनी है। इस अधिनियम के तहत केवल परोपकारी या सामाजिक हित में ही सरोगेसी की अनुमति है। इसके अलावा, सरोगेसी प्रक्रिया के दौरान होने वाले खर्चों का वहन दंपति को ही करना होता है।
सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए 2016 में सरोगेसी बिल लाया गया था, जिसे अब 2019 में सरोगेसी रेगुलेशन बिल के रूप में पेश किया गया है। इस बिल के अनुसार, केवल संतानहीन विवाहित दंपति ही सरोगेसी का लाभ उठा सकते हैं। सरोगेट माँ के लिए भी कई नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि उसकी आयु 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए, वह शादीशुदा हो और पहले से ही मां बन चुकी हो। साथ ही, सरोगेट माँ को मानसिक रूप से स्वस्थ होने का प्रमाणपत्र भी प्राप्त करना चाहिए। दंपति और सरोगेट माँ को अपने आधार कार्ड को लिंक करना होता है ताकि धोखाधड़ी की संभावना कम हो सके।
कौन-कौन सी महिलाएं किराये पर “कोख” लिए उपयुक्त होती हैं?
सरोगेसी की प्रक्रिया में एक महिला का चयन कई मानदंडों के आधार पर किया जाता है। इन मानदंडों को समझना सरोगेसी प्रक्रिया को समझने के लिए आवश्यक है। निम्नलिखित महिलाएं सरोगेसी के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं:
- आयु सीमा: सरोगेट माँ की उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए। यह उम्र की सीमा उस शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करती है जो इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।
- स्वास्थ्य स्थिति: सरोगेट माँ का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए। उसे किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना चाहिए। इसके लिए एक मनोचिकित्सक से प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जो उसके मानसिक रूप से फिट होने को प्रमाणित करता है।
- पारिवारिक स्थिति: सरोगेट माँ का पहले से विवाह होना और पहले से ही एक बच्चे का जन्म देना आवश्यक है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि उसने पहले भी गर्भधारण का अनुभव किया हो और उसकी शारीरिक स्थिति अच्छी हो।
- कानूनी मानदंड: सरोगेट माँ को और दंपति को अपने आधार कार्ड को लिंक करना होता है। यह व्यवस्था बायोमेट्रिक डेटा के आधार पर धोखाधड़ी की संभावना को कम करने में मदद करती है।
सरोगेसी के लिए आवेदन प्रक्रिया
सरोगेसी के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। ये चरण इस प्रकार हैं:
- प्रारंभिक जांच: सबसे पहले, दंपति और संभावित सरोगेट माँ को अपनी पात्रता जांचने के लिए एक उपयुक्त प्रजनन केंद्र से संपर्क करना होता है।
- मनोचिकित्सक से प्रमाणपत्र: सरोगेट माँ को एक मनोचिकित्सक से प्रमाणपत्र प्राप्त करना होता है जो उसकी मानसिक स्थिति को प्रमाणित करता है।
- सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) केंद्र से संपर्क: एक बार सभी आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाने के बाद, दंपति और सरोगेट ART केंद्र से संपर्क करते हैं, जहां प्रजनन की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
- अनुबंध और कानूनी प्रक्रिया: दंपति और सरोगेट के बीच एक कानूनी अनुबंध तैयार किया जाता है, जिसमें सभी अधिकार और दायित्व स्पष्ट किए जाते हैं।
कानूनी और चिकित्सकीय चुनौतियाँ
सरोगेसी की प्रक्रिया में कई कानूनी और चिकित्सकीय चुनौतियाँ हो सकती हैं:
- कानूनी समस्याएँ: सरोगेसी के दौरान उत्पन्न होने वाली कानूनी समस्याओं को हल करने के लिए उचित कानूनी सलाह और अनुबंध की आवश्यकता होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: सरोगेट माँ और बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल करना अनिवार्य होता है। किसी भी जटिलता के मामले में उचित चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।
किराये पर कौन दे सकता है “कोख” -FAQs
1. सरोगेसी क्या है?
सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला (सरोगेट माँ) किसी अन्य दंपति के लिए गर्भधारण करती है। यह प्रक्रिया उन दंपत्तियों के लिए होती है जो स्वाभाविक रूप से संतान प्राप्ति में असमर्थ होते हैं।
2. कौन सी महिलाएं सरोगेट माँ बन सकती हैं?
सरोगेट माँ बनने के लिए महिला की आयु 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उसे शादीशुदा होना चाहिए और उसे पहले से एक बच्चे का जन्म देना अनिवार्य है।
3. सरोगेसी के लिए क्या कोई कानूनी प्रावधान हैं?
हाँ, भारत में सरोगेसी के लिए सरोगेसी (रेगुलेशन) अधिनियम 2021 लागू है। इसके अनुसार केवल समाजिक या परोपकारी सरोगेसी की अनुमति है और कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध है।
4. सरोगेसी के लिए आवेदन कैसे करें?
सरोगेसी के लिए आवेदन करने के लिए दंपति को एक उपयुक्त प्रजनन केंद्र से संपर्क करना होता है। सरोगेट माँ को एक मनोचिकित्सक से प्रमाणपत्र प्राप्त करना होता है जो उसकी मानसिक स्थिति को प्रमाणित करता है।
5. क्या सरोगेसी के लिए कोई वित्तीय भुगतान करना पड़ता है?
भारत में कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध है। इसके लिए कोई भुगतान करना गैर क़ानूनी है। सरोगेसी का उपयोग केवल समाजिक या परोपकारी दृष्टिकोण से किया जा सकता है।
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