Gorakhpur Local Festival: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर है। यह शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक स्थलों और अद्वितीय उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है। गोरखपुर के स्थानीय उत्सव न केवल इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि यह लोगों के बीच आपसी भाईचारे और सौहार्द को भी बढ़ावा देते हैं।अगर आप भी इन सभी मेला और फेस्तिवेल का आनंद उठाना चाहते हें तो गोरखपुर जरुर जाये |
गोरखपुर के प्रमुख लोकल फेस्टिवल
ऐसे तो गोरखपुर में बहुत सारे फेस्तिवेल होते हें लेकिन इस Article में जिन जिन फेस्तिवेल का उलेख करने जा रहा हु वो बहुत ही खास हैं | तो दोस्तों गोरखपुर जाने से पहले इस लेख को एकबार जरुर पढ़ लेना आपको बहुत ही ज्यादा हेल्प होगा | गोरखपुर के प्रमुख लोकल फेस्टिवल :
1. गोरखनाथ मंदिर मेला

गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर मेला सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मेला है। यह मेला मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाता है और यह पूरे एक महीने तक चलता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु देश के विभिन्न कोनों से आते हैं और बाबा गोरखनाथ के दर्शन करते हैं। इस मेले में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। विभिन्न प्रकार के व्यंजन, खिलौने, कपड़े, और हस्तशिल्प के स्टॉल इस मेले की शोभा बढ़ाते हैं।
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2. गोरखपुर महोत्सव

गोरखपुर महोत्सव गोरखपुर का सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला उत्सव है। यह महोत्सव हर साल जनवरी के महीने में आयोजित किया जाता है और इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, और विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य गोरखपुर की सांस्कृतिक धरोहर को संजोना और नई पीढ़ी को इसकी जानकारी देना है।
मेले में स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ देशभर से आए कलाकार अपने कला का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा, पारंपरिक हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह महोत्सव न केवल मनोरंजन का साधन होता है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के बीच एकता और सद्भावना को भी बढ़ावा देता है। गोरखपुर महोत्सव वास्तव में एक ऐसा अवसर होता है जब पूरा शहर उत्सव के रंग में रंग जाता है।
3. गोरखपुर खिचड़ी मेला

खिचड़ी मेला गोरखपुर के सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित होता है। यह मेला जनवरी के महीने में होता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु देशभर से गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने के लिए आते हैं।
खिचड़ी मेला धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार खिचड़ी चढ़ाते हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस मेले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है, जो गुरु गोरखनाथ से जुड़ा हुआ है। मेला कई दिनों तक चलता है और इस दौरान मंदिर परिसर में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मेले में स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन, और विभिन्न प्रकार के स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र होते हैं। खिचड़ी मेला न केवल गोरखपुर के लोगों के लिए बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। यह मेला गोरखपुर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है और लोगों को एकता और सामंजस्य के सूत्र में बांधता है।
4.कृष्ण जन्माष्टमी
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कृष्ण जन्माष्टमी गोरखपुर में अत्यंत धूमधाम और धार्मिक उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को आता है।
इस दिन विभिन्न मंदिरों में भगवान कृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। लोग व्रत रखते हैं और रात भर भजन-कीर्तन करते हैं। मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण के जन्म के समय उत्सव अपने चरम पर होता है, जब उनके जन्म का स्वागत धूमधाम से किया जाता है।
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन होते हैं, जहां भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि बच्चों और युवाओं में भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति की भावना भी विकसित करता है। कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व गोरखपुर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
4. दशहरा और रामलीला

दशहरा का त्योहार गोरखपुर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। रामलीला के माध्यम से भगवान राम और रावण के बीच हुए महान युद्ध का नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया जाता है। यह आयोजन न केवल मनोरंजक होता है, बल्कि बच्चों और युवाओं को नैतिकता, धर्म और सत्य के महत्व को समझाने का भी काम करता है। गोरखपुर की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसमें स्थानीय कलाकार बड़े उत्साह और ऊर्जा के साथ अपने अभिनय का प्रदर्शन करते हैं।
5. दीपावली महोत्सव

दीपावली का त्योहार गोरखपुर में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। दीयों की रोशनी और पटाखों की चमक से पूरा गोरखपुर जगमगा उठता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व का होता है, बल्कि यह परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां बांटने का भी अवसर प्रदान करता है। बाजारों में खरीदारी का उत्साह, मिठाइयों का आदान-प्रदान और रंग-बिरंगी रोशनी इस त्योहार को और भी खास बना देते हैं।
6. होली महोत्सव

होली का त्योहार गोरखपुर में रंगों का पर्व है। यह त्योहार सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन लोग सभी गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे के साथ खुशी के पल बांटते हैं। होली के अवसर पर विशेष पकवान जैसे गुझिया, मालपुआ और ठंडाई का आनंद लिया जाता है। इस त्योहार के माध्यम से लोग अपने मन के सभी दुख-दर्द भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।
गोरखपुर के लोकल फेस्टिवल न केवल मनोरंजन का साधन होते हैं, बल्कि यह संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं। यह फेस्टिवल लोगों को अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं और नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक बनाते हैं। इन फेस्टिवल के माध्यम से लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संजोते हैं और उन्हें आने वाली पीढ़ी को सौंपते हैं।
Gorakhpur Local Festival FAQ
1.गोरखपुर महोत्सव कब आयोजित किया जाता है?
गोरखपुर महोत्सव हर साल जनवरी के महीने में आयोजित किया जाता है।
2.खिचड़ी मेला क्या है और यह कब होता है?
खिचड़ी मेला गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होता है, जहां श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाते हैं।
3.दीपावली का त्योहार गोरखपुर में क्यों खास होता है?
दीपावली के दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व का होता है, बल्कि परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां बांटने का भी अवसर प्रदान करता है।
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